हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: तीन कहानियाँ

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

तीन कहानियाँ

तीन कहानियाँ - (कवि - क़तील शिफ़ाई)

कल रात इक रईस की बाँहों में झूमकर,
लौटी तो घर किसान की बेटी ब-सद मलाल1
ग़ैज़ो-ग़जब से2 बाप का खूँ खौलने लगा,
दरपेश3 आज भी था मगर पेट का सवाल।

कल रात इक सड़क पे कोई नर्म-नर्म शै,
बेताब मेरे पाँव की ठोकर से हो गई,
मैं जा रहा था अपने खयालात में मगन,
हल्की-सी एक चीख़ फ़ज़ाओं में4 खो गई।

कल रात इक किसान के घर से धुआँ उठा,
बस्ती में ग़लग़ला5-सा हुआ-आग लग गई,
इस रंज से किसान का दिल पाश-पाश था,
रक्साँ6 थी चौधरी के लबों पर मगर हँसी।



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