हिन्दी की कविता, लघुगीत, बालगीत, फिल्म गीत, गजल, शायरी, धार्मिक लोकगीत का विशाल संकलन
इन पतंगों ने
बहुत मुजरा किया
दरबार जिसके
वह, अंधेरा खोल
आँचल भर
कहे
अब लौट जाओ।
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