पूरन प्रेम को मंत्र महा पन, जा मधि सोधि सुधारि है लेख्यौ।
ताही के चारू चरित्र बिचित्रनि यौं पचि कै राचि राखि बिसेख्यौं
ऎसो हियो-हित-पत्र पवित्र जु आन कथा न कहूँ अवरेख्यौ।
सो घनआनँद जान, अजान लौं टूक कियो पर बाँचि न देख्यौ॥
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