हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: छवि को सदन मोद मंडित

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

छवि को सदन मोद मंडित

छवि को सदन मोद मंडित - (कवि - घनानंद)

छवि को सदन मोद मंडित बदन-चंद

तृषित चषनि लाल, कबधौ दिखाय हौ।

चटकीलौ भेष करें मटकीली भाँति सौही

मुरली अधर धरे लटकत आय हौ।

लोचन ढुराय कछु मृदु मुसिक्याय, नेह

भीनी बतियानी लड़काय बतराय हौ।

बिरह जरत जिय जानि, आनि प्रान प्यारे,

कृपानिधि, आनंद को धन बरसाय हौ।


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