हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: प्रधान की अभिलाषा

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

प्रधान की अभिलाषा

प्रधान की अभिलाषा - (कवि - अरुण कमल)

अपने प्रधान इतने जनतंत्री थे कि
जब भी फ़ोटो लिया जाता
वह अपना एक पैर आगे कर देते,
क्योंकि चेहरे के मुकाबले पैरों की निरन्तर
उपेक्षा रही है फ़ोटो की दुनिया में,
कहते–
मेरी अभिलाषा है कि प्रजा मुझे चेहरे से नहीं
चरणों से जाने।



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