हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: बेचैन चील

सोमवार, 12 मार्च 2012

बेचैन चील

बेचैन चील - (कवि - गजानन माधव मुक्तिबोध)

बेचैन चील!!
उस जैसा मैं पर्यटनशील
प्यासा-प्यासा,
देखता रहूँगा एक दमकती हुई झील
या पानी का कोरा झाँसा
जिसकी सफ़ेद चिलचिलाहटों में है अजीब
इनकार एक सूना!!



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