हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: शक्ति

सोमवार, 12 मार्च 2012

शक्ति

शक्ति - (कवि - गंगा प्रसाद विमल)

जन्मी है शक्ति
गरीब की उपजाऊ धरती से
बेबसी में ही बढ़ी है
हमारी महान
सामर्थ्य

दो मुझे
दो शक्ति
जिसे हृदय ने रोपा है
जिसे रोप कर काटा है आदमी ने
और मापा है
फांसी के फंदों से.



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