हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: अंतिम बूँद

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

अंतिम बूँद

अंतिम बूँद - गोपालदास 'नीरज'
अंतिम बूँद बची मधु को अब जर्जर
प्यासे घट जीवन में। मधु की
लाली से रहता था जहाँविहँसता
सदा सबेरा, मरघट है वह मदिरालय
अब घिरा मौत का सघन अंधेरा, दूर
गए वे पीने वाले जो मिट्टी के
जड़ प्याले में- डुबो दिया करते
थे हँसकर भाव हृदय का
'मेरा-तेरा', रूठा वह साकी भी
जिसने लहराया मधु-सिन्धु नयन
में। अंतिम बूँद [...]
You may view all the Poems at
http://www.hindisahitya.org

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें