हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: चित्र में माँ

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

चित्र में माँ

चित्र में माँ - (कवि - नरेन्द्र मोहन)

माँ के उरोज़ों के बीच
बहती-लहराती नदी में
डूबता-उतराता रहता था
बचपन में

आज मैं साठ की दहलीज पर हूँ
कई तीखी-गहरी, मदमाती-उफनती नदियाँ
देख चुका हूँ
कई नद, नाले, पहाड़
लाँघ चुका हूँ

आज न माँ है न नदी
चित्र है नदी का और
माँ याद आती है !



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