हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: लाल तुम भाजत हो क्यों आज

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

लाल तुम भाजत हो क्यों आज

लाल तुम भाजत हो क्यों आज - (कवि - कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज')

लाल तुम भाजत हो क्यों आज ॥
खेलि लेहु फगुआ अब मोसे तजि सब डर ओ लाज ।
बूझि परै गो तबही तुम को कैसो नारि समाज ॥
ब्रज युवती वृषभानु सुता की सखी साजि सब साज ।
पकड़ि रंग में यों बोरोंगी उड़िहैं होस मिजाज ॥
आई हों लै कुमकुम रोरी भरि झोरी एहि काज ।
बदलो सब दिन को 'सरोज' अब लैहों हो ब्रजराज



सभी रचनायें देखने के लिये क्लिक करें
http://www.hindisahitya.org

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें