हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: पत्थरों का शहर

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

पत्थरों का शहर

पत्थरों का शहर - (कवि - कमलेश भट्ट 'कमल')

पत्थरों का शहर‚ पत्थरों की गली
पत्थरों की यहाँ नस्ल फूली फली

आप थे आदमी‚ आप हैं आदमी
बात यह भी बहूत पत्थरों को खली

एक शीशा न बचने दिया जायेगा
गुफ़्तगू रात भर पत्थरों में चली

खिलखिलाते हुए यक ब यक बुझ गई
पत्थरों के ज़रा ज़िक्र पर ही कली

जो कि प्यासे रहे खून के‚ मौत के
एक नदिया उन्हीं पत्थरों में पली


सभी रचनायें देखने के लिये क्लिक करें
http://www.hindisahitya.org

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें