हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: बचपन

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

बचपन

बचपन - (कवि - कविता गौड़)

बचपन की तलाश है
कहीं खो गया है बचपन
गलियों में रो रहा है बचपन

होटलों में ढाबों में धो रहा है बरतन
काँच की चूड़ियों में पिरो रहा है शबनम
बीड़ियों में तंबाखू समो रहा है बचपन

गोदियों में बचपन खिला रहा है बचपन
योजनाएँ सारी ध्वस्त है
कहीं भी खिलखिलाता नज़र नहीं
आ रहा है बचपन



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