हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: रूमालों पर

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

रूमालों पर

रूमालों पर - (कवि - कविता वाचक्नवी)

हम रूमालों पर
कढ़े हैं
प्रीत के अक्षर
कब तहा कर
रख चलो
किस जेब में तुम
कौन
जाने ?


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