हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: इसी तरह होगा

मंगलवार, 13 मार्च 2012

इसी तरह होगा

इसी तरह होगा - (कवि - गिरीराज किराडू)

इसी तरह होगा से शुरू या खत्म होने वाले
दस वाक्य हम इतने हुनर से लिख सकते थे कि हमने तय पाया
हमारे साथ कुछ नहीं या सब कुछ इसी तरह होगा
हमने अक्सर एक दूसरे पर हर शै पत्थर की तरह
फेंकी थी और ऊपर आकाश में जो कोई बैठे रहते थे
उनको हवा में लटका देख कर हम हर शै फूल की तरह
उनकी तस्वीर के चौखटे के कदमों में रख देते थे
मृतकों का ऐसा आदर हमारे खून में था
इसी तरह होगा से शुरू या खत्म होने वाले हमार वाक्य
हमें इतने मन से याद थे कि उन्हें भविष्यदृष्टाओं की तरह
दोहरा कर खुद पर खूब प्रसन्न होते रहेत थे
एक दूसरे के पैरों की आदत करवाने के लिए हम एक दूसरे को जूते चुराने देते थे
और यह देखकर हमारे जूते हमें ऐसे देखते थे मानो पूछ रहे हों
आखिर कब तक होता रहेगा यही सब
जूतों का ऐसा निरादर हमारे खून में था



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