हिन्दी साहित्य काव्य संकलन: तूने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा है

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

तूने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा है

तूने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा है - (कवि - क़तील शिफ़ाई)

तूने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा है
इक दिया है जो अँधेरों में जला रखा है
जीत ले जाये कोई मुझको नसीबों वाला
ज़िन्दगी ने मुझे दाँव पे लगा रखा है
जाने कब आये कोई दिल में झाँकने वाला
इस लिये मैंने ग़िरेबाँ को खुला रखा है
इम्तेहाँ और मेरी ज़ब्त का तुम क्या लोगे
मैं ने धड़कन को भी सीने में छुपा रखा है
दिल था एक शोला मगर बीत गये दिन वो क़तील,
अब क़ुरेदो ना इसे राख़ में क्या रखा है


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